Last Updated on June 14, 2024 by admin
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने समस्त भारत में विभिन्न विश्वविधालयों द्वारा कराये जाने वाले रिसर्च कोर्सेस में एडमिशन के लिए कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए है। यह जर्नल यूजीसी की ओर से 7 नवंबर को जारी किया गया था। इस जर्नल के अनुसार सरकारी कर्मचारी एंव अध्यापक बिना अपनी नौकरी को छोड़े, पार्टटाइम के द्वारा पीएचडी की पढ़ाई पूरी कर सकते है।
पहले सरकारी कर्मचारी एंव अध्यापक पीएचडी कोर्स करने के लिए अपनी नौकरी से छुट्टी लेते है उसी के बाद वह अपनी पढ़ाई जारी रखते है लेकिन अभी नियम बदल सके, वर्तमान में नौकरी के साथ पार्ट – टाइम में पीएचडी की जा सकती है।
यूजीसी की ओर से एक और बढ़ा बदलाव किया गया है जिसके अनुसार रिसर्च का काम ऑनलाइन या डिस्टेंस के माध्यम से मान्य नहीं होगा। इस बात पर चर्चा लंबे समय से चली आ रही है कि पीएचड़ी डिस्टेंस या ऑनलाइन मोड में मान्य है या नहीं। लेकिन यूजीसी ने ये अब साफ़ कर दिया है कि डिस्टेंस एंव ऑनलाइन के माध्यम से पीएचडी मान्य नहीं होगी।
यूजीसी ने जर्नल के संबंध में एक ओर बदलाव किया है जिसके अनुसार पहली थीसिस जमा करने से पहले न्यूनतम दो रिसर्च जर्नल प्रकाशित अनिवार्य था, लेकिन इस बदलाव के बाद पीएचडी छात्रों के लिए थीसिस से पहले जर्नल प्रकाशित करना अनिवार्य नहीं है।
थीसिस जमा होने के बाद, विश्वविद्यालय को अगले 6 महीनो के अंदर वाइवा आयोजित करना होगा, पहले छात्र 1.5 वर्ष के अंदर वाइवा दे सकते थे, लेकिन अभी आपको थीसिस जमा करने के 6 महीनो के अंदर ही वाइवा देना होगा।
वर्तमान समय में पीएचडी कोर्स को न्यूनतम तीन वर्ष में पूरा किया जा सकता है जिसमें 6 माह का रिसर्च का काम भी शामिल है। लेकिन छात्रों को ये विकल्प दिया जाता है कि वह इसे अधिकतम 6 वर्षो में पूरा सकते है।
यूजीसी ने कोरोना काल के दौरान ऑनलाइन के माध्यम से छात्रों के वाइवा की प्रक्रिया पूरी करायी थी, लेकिन यूजीसी की नवीनतम दिशा – निर्देश के अनुसार छात्र भविष्य में भी ऑनलाइन के माध्यम से वाइवा दे सकते है। इसका निर्णय छात्र खुद ले सकता है कि उसे ऑफलाइन या ऑनलाइन में से किस मोड़ में वाइवा देना है।